ये शीर्षक कुछ अटपटा है पर क्या करुँ बात भी अटपटी है बहुत। पिछले शुक्रवार को जयपुर में था। स्वाभाविक है जवाहर कला केन्द्र भी गया। वहां जो पर्दर्शनी लगी थी वह भी देखी। फ़िर कहवाघर में बैठा तो पिछले दिन घटी एक विचित्र घटना पर एक मित्र के साथ बात हुई। उस मित्र 'आसिफ भाई' का का कहना था कि कल यहाँ इन प्रदर्शनी वाले छात्र कलाकारों ने यहाँ एक इन्स्तालेशन भी किया था आतंकवाद के ख़िलाफ़। मगर एक वरिष्ठ कलाकार ने आकर इन बच्चों को फटकार लगे और जे के के के कारिंदों ने उनका इन्स्तालेशन कूडे॰ के हवाले कर दिया।
मुझे याद आया कि जब मैं स्कूल ऑफ़ आर्ट में छात्र था एक शिक्षक ने एक छात्र कलाकार के कैनवास फाड़ दिए थे। वह छात्र कलाकार संवेदनशील था। मेंटली disturb हो गया।
राजस्थान के कला जगत का दुर्भाग्य है कि यहाँ कुछ ऐसे लोग जिनका सच में कला से कोई वास्ता नहीं कलाकार बने बैठे हैं। संस्थानों व अकादमियों में घुसकर बहुत गुंडागर्दी की है इन लोगों ने। इन्हे कोई भी कला के थोड़ा नजदीक नज़र आता है ये बौखला जाते हैं। इन्हें अपनी दुकानदारी खतरे में नज़र आने लगती है।
और एक बात जब इन्हे लगता है की कांग्रेस की सरकार है ये कांग्रेसी हो जाते हैं। जब बी जे पी तो ये वहां नजदीकियां बढ़ाने लगते हैं। एक बार तो ये प्रगतिशील भी बन बैठे थे मंच हासिल करने के लिए। सच में हरामीपन है ये।
भगवान भी इन्हें अपने पास बुलाने से डर रहा है शायद...........
Wednesday, February 4, 2009
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