इन दिनों एक नई सीरीज़ पर काम कर रहा हूँ। बहुत दिनों से आकृतिमूलक काम करने की जेहन में बात थी पर पूरी तरह आकारों की तरफ़ लौट नहीं पाया हूँ अब तक। वैसे मेरी अपने ऍक्स्प्रॅशन के साथ कोई जबरदस्ती भी नहीं है। जैसा होता चलता है होने देता हूँ भले ही बाद में मेरा आलोचक उठ खड़ा होता है अपने सारे औजारों के साथ मेरे कलाकार के खिलाफ। इसी सीरीज़ का एक चित्र -
Saturday, April 18, 2009
Wednesday, February 4, 2009
गुंडागर्दी
ये शीर्षक कुछ अटपटा है पर क्या करुँ बात भी अटपटी है बहुत। पिछले शुक्रवार को जयपुर में था। स्वाभाविक है जवाहर कला केन्द्र भी गया। वहां जो पर्दर्शनी लगी थी वह भी देखी। फ़िर कहवाघर में बैठा तो पिछले दिन घटी एक विचित्र घटना पर एक मित्र के साथ बात हुई। उस मित्र 'आसिफ भाई' का का कहना था कि कल यहाँ इन प्रदर्शनी वाले छात्र कलाकारों ने यहाँ एक इन्स्तालेशन भी किया था आतंकवाद के ख़िलाफ़। मगर एक वरिष्ठ कलाकार ने आकर इन बच्चों को फटकार लगे और जे के के के कारिंदों ने उनका इन्स्तालेशन कूडे॰ के हवाले कर दिया।
मुझे याद आया कि जब मैं स्कूल ऑफ़ आर्ट में छात्र था एक शिक्षक ने एक छात्र कलाकार के कैनवास फाड़ दिए थे। वह छात्र कलाकार संवेदनशील था। मेंटली disturb हो गया।
राजस्थान के कला जगत का दुर्भाग्य है कि यहाँ कुछ ऐसे लोग जिनका सच में कला से कोई वास्ता नहीं कलाकार बने बैठे हैं। संस्थानों व अकादमियों में घुसकर बहुत गुंडागर्दी की है इन लोगों ने। इन्हे कोई भी कला के थोड़ा नजदीक नज़र आता है ये बौखला जाते हैं। इन्हें अपनी दुकानदारी खतरे में नज़र आने लगती है।
और एक बात जब इन्हे लगता है की कांग्रेस की सरकार है ये कांग्रेसी हो जाते हैं। जब बी जे पी तो ये वहां नजदीकियां बढ़ाने लगते हैं। एक बार तो ये प्रगतिशील भी बन बैठे थे मंच हासिल करने के लिए। सच में हरामीपन है ये।
भगवान भी इन्हें अपने पास बुलाने से डर रहा है शायद...........
मुझे याद आया कि जब मैं स्कूल ऑफ़ आर्ट में छात्र था एक शिक्षक ने एक छात्र कलाकार के कैनवास फाड़ दिए थे। वह छात्र कलाकार संवेदनशील था। मेंटली disturb हो गया।
राजस्थान के कला जगत का दुर्भाग्य है कि यहाँ कुछ ऐसे लोग जिनका सच में कला से कोई वास्ता नहीं कलाकार बने बैठे हैं। संस्थानों व अकादमियों में घुसकर बहुत गुंडागर्दी की है इन लोगों ने। इन्हे कोई भी कला के थोड़ा नजदीक नज़र आता है ये बौखला जाते हैं। इन्हें अपनी दुकानदारी खतरे में नज़र आने लगती है।
और एक बात जब इन्हे लगता है की कांग्रेस की सरकार है ये कांग्रेसी हो जाते हैं। जब बी जे पी तो ये वहां नजदीकियां बढ़ाने लगते हैं। एक बार तो ये प्रगतिशील भी बन बैठे थे मंच हासिल करने के लिए। सच में हरामीपन है ये।
भगवान भी इन्हें अपने पास बुलाने से डर रहा है शायद...........
Saturday, January 3, 2009
नया साल मुबारक
नया साल मुबारक सबको!
दुनिया में रहे अमन कायम!
कोई भूखा न सोये!
न रोये कोई!
बस इतनी सी चाह है नए साल से!
दुनिया में रहे अमन कायम!
कोई भूखा न सोये!
न रोये कोई!
बस इतनी सी चाह है नए साल से!
Friday, December 5, 2008
Thursday, December 4, 2008
यह शुरुआत है!
एक अरसा पहले सोचा था कि एक कला पत्रिका हो, जो भारतभर की कलाजगत की गतिविधियों के अलावा सौंदर्यशास्त्र और कलामनोविज्ञान के चिंतन पर केंद्रित हो। जल्दी ही आप इसे साकार पायेंगे।
रामकिशन अडिग
रामकिशन अडिग
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